
हकीम इरफान, श्रीनगरजम्मू और कश्मीर में क्या होने जा रहा है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है, लेकिन सरकार की ओर से अधिकारियों को लेने का आदेश देने के बाद आशंका और बढ़ गई है। स्वास्थ्य, पेयजल और बिजली जैसे जरूरी सेवाओं से जुड़े विभागों के अधिकारियों को जिला प्रशासन से कर्फ्यू पास लेने के लिए कहा गया है। अधिकारियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गई हैं। सरकार के पर्यटकों और तीर्थयात्रियों को कश्मीर छोड़ने की अडवाइजरी जारी करने और कुछ देशों के अपने नागरिकों को राज्य छोड़ने के लिए कहने से भी घबराहट फैल गई है। नियंत्रण रेखा (LoC) के पास भी स्थिति तनावपूर्ण है। पाकिस्तानी सैनिकों ने रविवार को बॉर्डर पर गोलीबारी की, जिसका भारतीय सेना ने मुंहतोड़ जवाब दिया। इसमें पाकिस्तान के कुछ सैनिक मारे गए। कारगिल में जिला प्रशासन की ओर से अधिकारियों को छुट्टी पर न जाने की अडवाइजरी देने से भी बॉर्डर पर किसी बड़ी कार्रवाई की अटकलें लग रही हैं। श्रीनगर में नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सहित क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने मीटिंग कर केंद्र सरकार की ओर से मौजूदा स्थिति को लेकर चुप्पी बरतने पर विचार-विमर्श किया। नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला के निवास पर हुई इस मीटिंग में उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती, सज्जाद लोन, मोहम्मद युसुफ तारिगामी, शाह फैजल और कुछ अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हुए। इस मीटिंग में राजनीतिक दलों ने राज्य को विशेष दर्जे की गारंटी देने वाले संवैधानिक प्रावधानों को हटाने की किसी कोशिश के खिलाफ एकजुटता से लड़ने का फैसला किया। मीटिंग में पास किए गए एक प्रस्ताव में कहा गया कि इन दलों ने संविधान के आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35A को हटाने, निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन या राज्य को तीन हिस्सों में बांटने की किसी कोशिश के संभावित परिणामों की जानकारी देने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया है। फारुख अब्दुल्ला ने बताया कि राजनीतिक दलों ने भारत और पाकिस्तान से कोई ऐसा कदम न उठाने की अपील की है, जिससे इस क्षेत्र में तनाव बढ़े। कश्मीर में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। राज्य में महत्वपूर्ण स्थानों और संवेदनशील क्षेत्रों में विशेषतौर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। जम्मू और कश्मीर प्रशासन ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा की अवधि कम कर दी थी और तीर्थयात्रियों से जल्द से जल्द कश्मीर को छोड़ने के लिए कहा था। इसके बाद राज्य में किसी बड़े कदम को लेकर अटकलें लगनी शुरू हो गई थीं। लोगों ने जरूरी सामान के साथ ही पेट्रोल और डीजल का स्टॉक करना भी शुरू कर दिया है। राज्य में दुकानों और पेट्रोल पंपों पर रविवार को भी भारी भीड़ रही।
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